इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वीकार की राज्य सरकार की विशेष अपील
अर्हता का मामला हाईकोर्ट में लंबित होने से प्रवेश प्रक्रिया चार माह से अधिक पिछड़ी
डीएलएड में प्रवेश के लिए हर साल ऑनलाइन आवेदन मई या जून में शुरू हो जाते हैं
50% अर्हता सरकार ने निर्धारित की थी, 09 सितंबर 2024 को सरकार ने तय किया था अर्हता का मानक
एनईपी, सहायक अध्यापक नियुक्ति की निर्धारित अर्हता की अनदेखी नहीं की जा सकती। न्यूनतम अर्हता तय करने के सरकार के अधिकार पर विवाद नहीं है, जिसने ट्रेनिंग कोर्स में प्रवेश के लिए न्यूनतम अर्हता स्नातक निर्धारित की है। - इलाहाबाद हाईकोर्ट
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएलएड में प्रवेश के लिए न्यूनतम अर्हता स्नातक रखने के नौ सितंबर 2024 के शासनादेश को सही ठहराते हुए शासनादेश के खंड 4(1) को निरस्त करने के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को ट्रेनिंग कोर्स में प्रवेश या सहायक अध्यापक की नियुक्ति की न्यूनतम अर्हता तय करने का अधिकार है, जो एनसीटीईटी निर्धारित अर्हता से कम नहीं हो सकती, अधिक भले रखी जा सकती है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली एवं न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने दिया है।
कोर्ट ने कहा कि एनसीटीई ने स्वयं ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर शिक्षा मानक निर्धारित करने के लिए न्यूनतम अर्हता निर्धारित की है। डीएलएड में प्रवेश की न्यूनतम अर्हता स्नातक रखना मनमाना व भेदभाव पूर्ण नहीं है। दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की विशेष अपील स्वीकार कर ली और डीएलएड में प्रवेश की अहर्ता इंटरमीडिएट रखने की मांग में दाखिल यशाक खंडेलवाल व नौ अन्य की याचिका खारिज कर दी। अपील पर राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव ने बहस की।
विशेष अपील में एकल पीठ के 24 सितंबर 2024 को चुनौती दी गई थी। इस आदेश से एकल पीठ ने सरकार के नौ सितंबर 2024 के शासनादेश के खंड 4(1) को रद्द कर दिया था, जिसमें डीएलएड में प्रवेश की अर्हता स्नातक रखी गई थी और इंटरमीडिएट उत्तीर्ण याचियों को प्रवेश प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया था। एकल पीठ ने कहा था कि डीएलएड कोर्स में प्रवेश की अर्हता स्नातक रखना एनसीटीई के मानक के विपरीत है।
2,33,350 सीटों पर प्रवेश का रास्ता साफ
प्रयागराज। डीएलएड में प्रवेश की अर्हता स्नातक रखने संबंधी शासनादेश बहाल करने के हाईकोर्ट के फैसले के साथ ही 2025-26 सत्र के लिए डीएलएड में दाखिले का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश के 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की 10600 व 2974 निजी कॉलेजों की 2,22,750 कुल 2,33,350 सीटों पर प्रवेश के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के अफसर अब एनआईसी से वार्ता कर प्रवेश का प्रस्ताव सरकार को भेजेंगे। सरकार की अनुमति के बाद प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी।
सरकार की दलील, उसे अर्हता तय करने का हक
सरकार का कहना था कि उसे न्यूनतम अर्हता तय करने का हक है, जिसके तहत स्नातक में 50% अंक अर्हता निर्धारित की गई है। यह बेसिक शिक्षा नियमावली के अनुरूप है। एनसीटीई के मानक का उल्लंघन नहीं है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार को अर्हता बढ़ाने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि एनसीटीईटी निर्धारित अर्हता अकेले नहीं पढ़ी जाएगी। अध्यापकों की नियुक्ति अर्हता के साथ देखी जाएगी। गुणवत्ता देखी जाएगी। कई ट्रेनिंग कोर्स को न्यूनतम अर्हता स्नातक है। एक पीठ ने विस्तृत विमर्श किए बगैर आदेश दिया है, जो बने रहने लायक नहीं है।
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