छलावा | उधार पर शिक्षा का अधिकार? किताब-यूनिफॉर्म के लिए 2019 से नहीं मिली रकम न हुई स्कूलों को फीस की भरपाई | RTE 2009 ADMISSION

छलावा | उधार पर शिक्षा का अधिकार? किताब-यूनिफॉर्म के लिए 2019 से नहीं मिली रकम न हुई स्कूलों को फीस की भरपाई | RTE 2009 ADMISSION

शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत न तो अभिभावकों को बच्चों के यूनिफॉर्म और किताबों के लिए वर्ष 2019 से अब तक धनराशि नहीं मिली है। न ही स्कूलों को वर्ष 2017 या इसके बाद से छात्रों की निर्धारित फीस की भरपाई ही की गई है। कुछ विद्यालयों को आंशिक रूप से ही धनराशि मिली है। सिर्फ कानपुर के ही 10 हजार बच्चों के अभिभावकों और स्कूलों को फीस के करीब 90 करोड़ से अधिक के बकाए का इंतजार है।



आरटीई में प्रवेश के बाद स्कूलों को विभाग 450 रुपये प्रति छात्र प्रति माह (कुल 11 माह) की धनराशि देता है। इसी तरह अभिभावकों को उनके बच्चों के लिए वर्ष में एक बार 5000 रुपये दिया जाता है ताकि वे इससे किताबें और यूनिफॉर्म आदि खरीद सकें। वर्ष 2019 से पहले तक अभिभावकों के खातों में नियमित रूप से धनराशि आ जाती थी। वर्ष 2019 के बाद से यह राशि नहीं आई है।


स्कूलों को नहीं मिल पा रही फीस प्रवेश लेने वाले स्कूलों को 2017 से अब तक नाममात्र ही फीस मिल सकी है। विभाग यही कहता रहा है कि इसका सत्यापन कराया जा रहा है। पूरे प्रदेश के विद्यालयों का करीब 300 करोड़ बकाया हो चुका है। 


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आरटीई कार्यकर्ता महेश कुमार ने बताया कि 150 अभिभावकों ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड भेजे थे। इसमें उनसे आरटीई का दायरा 12वीं तक बढ़ाने की मांग की थी। अच्छे स्कूल में 08वीं तक पढ़ाने के बाद कोई विकल्प नहीं बचता है।

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