Nipun Bharat Lakshya 2022 | निपुण भारत के लक्ष्य को लेकर बीएसए ने शिक्षकों को दिया टास्क

Nipun Bharat Lakshya 2022 | निपुण भारत के लक्ष्य को लेकर बीएसए ने शिक्षकों को दिया टास्क
महराजगंज | परिषदीय विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के लर्निंग स्टेटस बढ़ाने के लिए बुधवार को बीएसए आशीष कुमार सिंह ने सदर बीआरसी में जिले के सभी एआरपी व एआरजी को टॉस्क दिया। कहा कि शासन के परफार्मेंस इंडीकेटर पर सौ फीसदी खरा उतरें। जो लक्ष्य मिले उसे पूरा कराएं। परफार्मेंस इंडीकेटर में प्रदेश के टॉप-10 सूची में जिले को शामिल कराने के लिए सभी को मिल कर कार्य करना है। इसके लिए निपुण भारत, डीबीटी, कायाकल्प, शारदा एप, यू-डायस के पैरामीटर को अपनी जिम्मेदारी समझ अनिवार्य रूप से पूरा कराएं।

बीएसए ने कहा कि शासन की मंशा यह है कि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित नहीं रहे। इसके लिए शारदा एप लांच किया है। अध्यापक विद्यालय में खुद को केवल शिक्षण कार्य तक ही सिमित नहीं रखें। यह निरंतर पता लगाते रहे कि गांव में कोई ऐसा बच्चा तो नहीं है जिसका नामांकन कहीं नहीं हुआ है। ऐसे बच्चों को चिन्हित कर नजदीक के परिषदीय विद्यालय में दाखिला कराएं। शारदा एप पर सूचना अपलोड करें। एआरपी इसका अनुश्रवण व मूल्यांकन करें। कक्षा के हिसाब से हर बच्चा पढ़ाई में दक्ष हो, इसके लिए बच्चों के सीखने के स्तर को चिह्नित कर उन्हें पढ़ाएं।

ब्लाक डेवलपमेंट प्लान बनाएं एआरपी

जिला समन्वयक एमडीएम शैलेन्द्र वर्मा ने कहा कि निपुण भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ब्लाक डेवलपमेंट प्लान बनाएं। इसमें शैक्षिक गतिविधियों का शेड्यूल शामिल करें। विद्यालय में कराए जा रही गतिविधियों का अनुश्रवण व आंकलन करें। उन्होंने कहा कि निपुण भारत लक्ष्य को हासिल करने के लिए अभियान को जन आंदोलन बनाएं। ग्रामीण, अभिभावक, जनप्रतिनिधि को शामिल करें। एसएमसी व पैरेंट-टीचर मीटिंग(पीटीएम) में अभिभावकों को जागरूक करें। उन्हें इसके लिए भी प्रेरित करें कि शासन ने बच्चों के ड्रेस, बैग, जूता, स्वेटर आदि के लिए जो पैसा भेजा है उससे खरीदारी करें। प्रधानाध्यापकों को प्रोत्साहित करें। एआरपी विद्यालय में शेड्यूल के मुताबिक पहुंचे। सपोर्टिव सुपरविजन के लिए स्कूल में दो घंटे का समय देना है। जिन बच्चों का डीबीटी पोर्टल पर फीडिंग नहीं हो पाई है उसे पूरा कराएं। आधार कार्ड के अभाव में कुछ बच्चों की डीबीटी पोर्टल पर फीडिंग नहीं हो पा रही थी। ऐसे बच्चों की फीडिंग के लिए साफ्टवेयर पर आप्शन आ चुका है।
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